ये अहले बतन ‘ वादा ‘ सर तेरा झुकने न देंगे
अपनी अंगुलियों को बना कर कलम
आंखों को अपने रक्तिम कर रखा है ।
इस दविस के दौर में भी हमने खुद को
इश्के इंकलाब से लबरेज कर रखा है ।
तोड़ा है रेशमी पैजेब की बेड़ी को
चुनरी को परचम हमने बना रखा है ।
ये अहले बतन ‘ वादा ‘ सर तेरा झुकने न देंगे
सर की कीमत पर हौसलों को बुलंद कर रखा है।
… सिद्धार्थ