यूँ उजाला रास आया है
इश्क़ में दिल को जलाया है
यूँ उजाला रास आया है
खुद नहीं आया यहाँ पे मैं
तेरा जादू खींच लाया है
था यही दस्तूरे-महफ़िल भी
खुदको खोया, उनको पाया है
जीते जी कुछ नेकियाँ कर ले
फिर दुबारा कौन आया है
छोड़कर दुनिया गए सारे
मौत ने सबको मिटाया है
मीरो-ग़ालिब को पढ़ा मैंने
ये हुनर तब जाके आया है