” युध्य “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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युद्ध की विभीषिकाओं
को किसने नहीं देखा ?
ज्यालामुखी के दहकते
लावाओं के प्रलय को
किसने नहीं देखा ?
इतिहास के पन्नों को
उलटकर देखो लो ,
सभ्यता ,संस्कृति और
धरोहर मिटते चले जाते हैं !
हम सदा जो चाहते हैं ,
शीर्ष पर बैठे रहें ,
युद्ध के पश्चात सब
ध्यस्त हो जाते हैं !!
युद्ध जब अनिवार्य हो,
प्रलय का हुँकार हो,
देश की पुकार हो,
तब त्रिनेत्र खोल दो,
शत्रु का संघार कर,
रक्त से तिलक करो !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत