सब कुछ लुटा दिया है तेरे एतबार में।
रज चरण की ही बहुत है राजयोगी मत बनाओ।
*सवा लाख से एक लड़ाऊं ता गोविंद सिंह नाम कहांउ*
*गरीबों की ही शादी सिर्फ, सामूहिक कराते हैं (हिंदी गजल)*
मैंने खुद के अंदर कई बार झांका
गांव और वसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
लगाकर मुखौटा चेहरा खुद का छुपाए बैठे हैं
जिसको जीवन का केंद्र मान कर प्रेम करो
विजेता सूची- “संवेदना” – काव्य प्रतियोगिता
अन्याय हो रहा यहाॅं, घोर अन्याय...
तेरे सांचे में ढलने लगी हूं।
इक्कीस मनकों की माला हमने प्रभु चरणों में अर्पित की।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सर्द सा मौसम है धूप फिर से गुनगुनाई है,
भय दिखा कर कोई महान नहीं हो सकता है, हां वो प्रेमपूर्ण होने