अंजाना सा साथ (लघु रचना ) ....
आज आचार्य विद्यासागर जी कर गए महाप्रयाण।
मंत्र: वंदे वंछितालाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढाम् शू
यूं सांसों का वजूद भी तब तक होता है,
ज़िंदगी को मैंने अपनी ऐसे संजोया है
सुस्ता लीजिये - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
तन्हा रात तन्हा हम और तन्हा तुम
*अभिनंदनीय हैं सर्वप्रथम, सद्बुद्धि गणेश प्रदाता हैं (राधेश्
जिंदगी के तूफ़ानों की प्रवाह ना कर
हमेशा आंखों के समुद्र ही बहाओगे