याद
आते रहा हूँ
आते रहूंगा
याद
यूं ही मुझे
अठखेलियों में
खोजते रहना.
भूल पडे जो
बचपन मे देखना
बुढापे में खोजना
रह जाये
गर कमी
महकते फूलों में
गुलिस्तां के गुलशन में
झरनों की कलकलाहट में
उडते पंछियों में
भूखे प्यासे की तडफडाहट में
जरूर से जरूर
नजर आऊंगा.
आऊंगा नजर.
गर देख पावो.
निसर्ग सा शुद्ध.
धर्म से मेरा कोई सरोकार नहीं.
अधर्म में मेरी तडफडाहट
मेरे होने के प्रमाण देगी.
मेरे होने के प्रमाण देगी.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस