याद
जो पहले शाद करता था वही नाशाद करता है
न अब ये दिल तड़पता है न अब फ़रियाद करता है,
अलग है तू अलग मसरूफ़ियत के हैं तेरे अन्दाज़,
ये तक नहीं है याद तुझे, की कोई तुझे भी याद करता है !
जो पहले शाद करता था वही नाशाद करता है
न अब ये दिल तड़पता है न अब फ़रियाद करता है,
अलग है तू अलग मसरूफ़ियत के हैं तेरे अन्दाज़,
ये तक नहीं है याद तुझे, की कोई तुझे भी याद करता है !