Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jul 2022 · 2 min read

याद तेरी फिर आई है

सावन का मौसम आया है,
घटा छाई है घनघोर गगन में।
बारिश बरस रही है रिमझिम ।
बादल अपनी मोती की बुँदे,
गिरा रहा है आँगन-आँगन ।
बादल को देखो धरती से है,
अपना प्यार जताने मे है मगन।
मोती जैसी बुँदो से अपने,
सजा रहा है धरती का दामन।
अपनी प्यार की बुँदों से वह,
धरती की प्यास बुझा रहा है ।
देखकर ऐसा मौसम सुहाना,
ओ मेरे साथिया,
आज याद तेरी फिर आई है।

सावन के इस शीतल हवा संग,
धरती आज लहरा रही है।
ओढ कर आज हरी चुनरियाँ,
बड़ी मन भावन लग रही है।
देखकर उसके इस मन भावन रूप को,
मेरा मन भी बहका जा रहा है।
देखकर ऐसा मौसम सुहाना
ओ मेरे साथियाँ,
आज याद तेरी फिर आई है।

धरती पर देखो आज साथिया,
चारों तरफ फूल खिल गए है।
हर एक उपवन फूलों से,
आज हरे-भरे हो गए हैं।
बादल को रिझाने के लिए धरती
आज कितनी सुंदर दिख रही है।
देखकर ऐसा मौसम सुहाना ,
ओ मेरे साथिया,
आज याद तेरी फिर आई है।

आसमान मे इन्द्रधनुष आज,
रंग-बिरंगी छटा बिखेर रहा है।
रंग-बिरंगी इस छटा से,
आसमान भी खुश दिख रहा है।
धरती भी सोंधी सी खुशबू,
चारों तरफ फैला रही है।
देखकर ऐसा मौसम सुहाना,
ओ मेरे साथिया,
आज याद तेरी फिर आई है।

देखो कोयल ने भी अपना,
प्यार का ताना छेड़ा है आज।
मन भावन मौसम को देखकर,
बड़ी मीठी बोल रही है आज।
देखकर आज मौसम सुहाना,
मोरनी नाच रही है मोर के संग।
मदहोश होकर आज,
देखकर ऐसा मौसम सुहाना ,
ओ मेरे साथिया,
आज याद तेरी फिर आई है।

देखकर इस सुहाने मौसम को,
दिल ने मेरा आज तेरा साथ मांगा है।
तेरे बाहों में लिपटकर उसने,
मौसम का आनंद चाहा है।
ऐसे में तेरा यहाँ होना,
बड़ा ही लाजिमी है।
कैसे समझाऊँ मैं इस दिल को,
जो आज मेरे कहने में नही है।
देखकर ऐसा मौसम सुहाना,
ओ मेरे साथिया,
आज याद तेरी फिर आई है।

अनामिका

7 Likes · 14 Comments · 421 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
समंदर में नदी की तरह ये मिलने नहीं जाता
समंदर में नदी की तरह ये मिलने नहीं जाता
Johnny Ahmed 'क़ैस'
सौ बरस की जिंदगी.....
सौ बरस की जिंदगी.....
Harminder Kaur
भरते थे घर में कभी, गेहूँ चावल दाल ( कुंडलिया )
भरते थे घर में कभी, गेहूँ चावल दाल ( कुंडलिया )
Ravi Prakash
डिजिटलीकरण
डिजिटलीकरण
Seema gupta,Alwar
*
*"मुस्कराहट"*
Shashi kala vyas
तन्हाईयाँ
तन्हाईयाँ
Shyam Sundar Subramanian
खेल जगत का सूर्य
खेल जगत का सूर्य
आकाश महेशपुरी
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
Shubham Pandey (S P)
💐प्रेम कौतुक-295💐
💐प्रेम कौतुक-295💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बूढ़ी मां
बूढ़ी मां
Sûrëkhâ Rãthí
हर सफ़र ज़िंदगी नहीं होता
हर सफ़र ज़िंदगी नहीं होता
Dr fauzia Naseem shad
कभी पथभ्रमित न हो,पथर्भिष्टी को देखकर।
कभी पथभ्रमित न हो,पथर्भिष्टी को देखकर।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Ghughat maryada hai, majburi nahi.
Ghughat maryada hai, majburi nahi.
Sakshi Tripathi
कई लोगों के दिलों से बहुत दूर हुए हैं
कई लोगों के दिलों से बहुत दूर हुए हैं
कवि दीपक बवेजा
कभी तो ख्वाब में आ जाओ सूकून बन के....
कभी तो ख्वाब में आ जाओ सूकून बन के....
shabina. Naaz
जग के जीवनदाता के प्रति
जग के जीवनदाता के प्रति
महेश चन्द्र त्रिपाठी
दिल हमारा तुम्हारा धड़कने लगा।
दिल हमारा तुम्हारा धड़कने लगा।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मेरा तुझसे मिलना, मिलकर इतना यूं करीब आ जाना।
मेरा तुझसे मिलना, मिलकर इतना यूं करीब आ जाना।
AVINASH (Avi...) MEHRA
माँ भारती वंदन
माँ भारती वंदन
Kanchan Khanna
2316.पूर्णिका
2316.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जड़ता है सरिस बबूल के, देती संकट शूल।
जड़ता है सरिस बबूल के, देती संकट शूल।
आर.एस. 'प्रीतम'
रंग भी रंगीन होते है तुम्हे छूकर
रंग भी रंगीन होते है तुम्हे छूकर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
रण
रण
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
"प्रेम रोग"
Dr. Kishan tandon kranti
सत्य और सत्ता
सत्य और सत्ता
विजय कुमार अग्रवाल
अब देर मत करो
अब देर मत करो
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मां की पाठशाला
मां की पाठशाला
Shekhar Chandra Mitra
नारी हूँ मैं
नारी हूँ मैं
Kavi praveen charan
मुफलिसों को जो भी हॅंसा पाया।
मुफलिसों को जो भी हॅंसा पाया।
सत्य कुमार प्रेमी
#दोहा-
#दोहा-
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...