यादों से दिल बहलाना हुआ
हवाओं के साथ साथ ना लहरों का आना हुआ
💔 ना हमारा ना तुम्हारा साहिल से टकराना हुआ
सँजोयें चल रहे यादो को,एक यही तो सहारा है।
💔 इसलिए तो हमें तुम्हे ना अब तक भुलाना हुआ
यादों में याद कर-कर के और मैं दीवाना हुआ
💔 रात-ए-दिन-ए-रात गम-ए–अश्क़ बहाना हुआ
इश्क़-ए-समुंदर में डुबायें वादे तोड़े इस कदर
💔 की ना हमसे कभी इस दिल को समझाना हुआ
तकदीर के हाथों हार गए हम ख़ुदा कर रहम
💔 एक झलक ही दिखा दे उन्हें देखे जमाना हुआ
वो शाम ही नही वैसी ना सुकूँ कहि आ रही
💔 सिर्फ सीसे की तरह टूटकर बिखर जाना हुआ
वो शाम वो बारिश वो ख़त वो पल याद है।
💔दिल वहां जहां तू है ना और दिल लगाना हुआ
दिल-ए-गलियों में आज कल शोर ही शोर है।
💔सिर्फ जीने के लिए यादो से दिल बहलाना हुआ
©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छःग)