यादें तुम्हारी… याद है हमें ..
वो बारिश में चमकती बिजली सी रह-रह कर लौटना
वो जाते पावस की उद्विग्नता…
और ठहरती वर्षा की बूंदो सा रह रहकर लौटना
वो शीत की अलसाई सुबह.. और
रह रहकर धूप दलान पर लौटना
वो क्षितिज के उस पार तक…की खामोशी और
ज्वारभाटे सा विचारों के शोर.. लौटना
दर्द चोट,तकलीफ,पीड़ा,ये सारे उपमान कम है
तुम्हारे दिए दिखावे ,जख्म के आगे
सब…सब कुछ याद हमे
यादें तुम्हारी… याद है हमें
क्यों अब तलक लौट ना पाई उस मोड जहां दो जाने अनजान हुए थे
यादें तुम्हारी… याद है हमें ..