*यह भगवान बुलाऍंगे(गीतिका)*
यह भगवान बुलाऍंगे(गीतिका)
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(1)
चाँदी के दरवाजों पर, हीरों को जड़वाऍंगे
सिर्फ अशर्फी-मोहरों से, यह भगवान बुलाऍंगे
(2)
अरबों-खरबों खर्च हुआ, ईश्वर तुझे बुलाने में
पैसे वाले पैसों की, अकड़ तुझे दिखलाऍंगे
(3)
इतना शोर मचा है जैसे ईश्वर तू बहरा है
ऊँची आवाजों में ही, सबके सब चिल्लाऍंगे
(4)
हमें पता है पॉंच न पैसे का खर्चा आता है
जब मन चाहे जहाँ बुलाओ, ईश्वर आ जाऍंगे
(5)
हमसे नियमावली और पूजन विधि कब आती है
हम अज्ञानी हैं लेकिन, ईश्वर तुझे रिझाऍंगे
(6)
यह तेरे पूजाघर कितने भव्य-विशाल बने हैं
तू सीधा-सादा क्या तुझको, हम इनमें पाऍंगे
(7)
लोग समझते हैं हमने झूठे किस्से गढ़ डाले
भला नशे के बादल बनकर, ईश्वर क्यों आऍंगे
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रचयिता:रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451