यह प्रेम की भाषा है
कुछ कहा तुमने
कुछ सुना मैंने
अरे कहां कुछ कहा
कहां कुछ सुना
बस नैनों की पोरों से
अपने दिल में बसा
सारा प्यार
मेरे दिल में
उड़ेल दिया तुमने
यह प्रेम की भाषा है
न कही जाती
न सुनी जाती
बस मन की आंखों से देखी जाती और
तन की अनुभूतियों से महसूस करी
जाती
यह प्रेम की पराकाष्ठा है
यह प्रेम की सम्पूर्णता है
यह प्रेम का समर्पण भाव है
यह प्रेम की सुंदरता है
यह प्रेम की व्याख्या है कि
यह एक सीप के हृदय में छिपा
सच्चा मोती अनमोल है
इसका न कोई जोड़ है
न ही कोई तोड़ है
दो तन हैं पर
दोनों के
मन एक हैं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001