यह कैसी रोशनी है
यह कैसी रोशनी है
रास्ता न दिखाकर
मंजिल का पता न बताकर
मुझे गुमराह कर रही है
मेरे पास आकर मुझे जला
रही है
चमक रही है एक जुगनू सी
आग लगा रही मेरे ख्वाबों को
एक शरारे सी
यह रोशनी बड़ी दुखदायी है
बुझाओ इसे
इससे बेहतर तो अंधेरे हैं जो
मुझे सताना तो दूर
ढूंढ भी नहीं पाते।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001