यह आंखें पथरा जायेंगी
इस दुनिया के
लोग
जो जिन्दा हैं
उनका इंतजार नहीं करते और
मेरे प्यार के पागलपन की
हद देखो
मैं जो मर चुके
उनका भी इंतजार करती हूं
मुझे उम्मीद है कि
वह मिल जायेंगे
मुझे कभी न कभी
कहीं न कहीं
एक दिन अचानक ही
जीवन से जुड़ी राह के
किसी मोड़ पे
मुस्कुराते हुए
मुझे प्रेम से अपने
आलिंगन में बांधते हुए
अपनों के बिछड़ने का दर्द
कितना गहरा होता है
उनसे मिलने की उम्मीद
दिल में बांधे
यह आंखें उन्हें तलाशती
तलाशती
कभी एक दिन बस
ऐसे ही पथरा जायेंगी
ऐसे ही ठोकर खाकर
कहीं रोती हुई
गिर जायेंगी
उनसे कभी बेशक न मिल
पाई पर
उन्हें साथ लेकर तो
सारी उम्र अपने साथ
चल पायेंगी।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001