यहाँ जो नेकियाँ करता उसी पर वार होता है
यहाँ जो नेकियाँ करता उसी पर वार होता है
बदी सौ बार हंसती है यही हर बार होता है
कहींं जिस्मों के सौदे हैं कहीं बाज़ार होता है
कहे किससे कि गुरबत में यही व्यापार होता है
हुआ है इश्क़ जिसको भी वही बीमार होता है
जिसे होता नहीं इन्सान वो बेकार होता है
पता चलता नहीं इसका ख़बर होती नहीं दिल को
अगर होता ज़रा होता मगर फिर प्यार होता है
मेरे दिल में बसी है जो अभी बाक़ी है इक हसरत
लिखा है ग़र जो किस्मत में विसाले-यार होता है
कसम उसने खिलाई है करोगे तुम नहीं झगड़ा
बंधे हैं हाथ जब दोनों तभी लाचार होता है
कहीं पर ज़ह्’र नफ़रत का कहीं झगड़ा है दौलत का
यही इस पार होता है यही उस पार होता है
वो जो कह दे वही होता हमेशा उसकी ही देखो
चले मर्ज़ी उसी का नाम तो सरकार होता है
ख़फ़ा होकर के बैठे हैं की है ग़लती मगर ख़ुद ही
सदा ‘आनन्द’ ही बोले यही दरकार होता है
डॉ आनन्द किशोर