मौसम और ऋतु
मौसम के बदलाव को देखकर
डर सबको लगता है.
तेज गति से बदलते हालात.
तेज कडकडाती बिजली,
घूमड घूमड काले काले बदरा.
छटी का दूध याद दिलाते है,
उजड गई संपदा, कौन समझे आपदा.
प्राण बचे सो लाखों पाये,
आओ एकजुट हो कमाकर खाये,
ऋतु संधि पर ध्यान कौन धरता है.
बदल जाता है भोजन,
गुड़ दही छाछ के सेवन कब बदलता है.ः
छोड़ गेहूँ खाये बाजरा.
मूंग मौठ गुआर फलियां बनती.
मक्खन, दही, छाछ सेहत धरती.