मौन सरोवर ….
मौन सरोवर ….
कसम है तुम्हें
अपने भाव स्पर्शों से
मेरे अन्तस का अलंकरण कर
जुदा न हो जाना
मेरे होकर
कैसे कह दूँ तुम स्वप्न हो
तुम तो मेरी
हर श्वास का दर्पण हो
देखो प्रिय
कहीं चले मत जाना
मेरी पलक में सपने बो कर
जीवनतल की अकथ कथा तुम
प्रेम पलों की मधुर ऋचा तुम
देखो तुम बिन
कहीं सूख न जाएँ
अभिलाषा के मौन सरोवर
अभी यहाँ थे अभी नहीं हो
मेरी क्षुधा की सुधा तुम्हीं हो
जीवन दुर्लभ तुमको खोकर
सच कहती हूँ
तुम ही हो
मेरे अंतस की
अमर धरोहर
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित