मौन पर एक नजरिया / MUSAFIR BAITHA
मौन
मनमोहन जैसा हो
मौनी बाबा वाला हो
सातत्य लिए हुए
गाम्भीर्य का गुरु वाहक हो
मनमोहक हो
महत्तम हो
शाकाहारी हो
आकाशचारी हो
मौन जब
छत्तीस इंचीय छाती से चलता है
लड़बड़ होता है
गड़बड़ होता है
मारक होता है
संहारक होता है
बेदखल होता है जब मौन यह
मौन की मसखरी कर रहा होता है
किसी मुखर राजनीति को
कामयाब करने की बाबत
मौन का सातत्य जहाँ
भीरूता का बयान है
स्टडीड सायलेंस वहीं
हिसाबी होकर
भीरूता के चरम का निदर्शन है
मौन के पाखंड का
प्रकटीकरण है
महत्तम मौन का ही
सर्वकालिक महत्व है
दीर्घकालिक व ऐतिहासिक साबित हो सकने वाला
महात्म्य धारण कर सकने में
एक यही अकेली मौन भंगिमा है
जो सक्षम है!