मौत
जिंदगी बोझ सी लगे है मौत में यार मेरा दिखे है
सफ़र में थे अब तलक अब अंतिम पड़ाव दिखे है
बहुत तनहा रहा अब तलक था जो भी सफ़र मेरा
यार से जाके कोई कह दे वस्ल की तलब दिखे है
इस पार की चाहत नहीं अब कोई भी बाकी
उस पार ही मिलन है मौत अब नाव दिखे है
~ सिद्धार्थ