मौत
दोस्तों,
एक मौलिक ग़ज़ल आप सभी की मुहब्बतों के हवाले,,,,,!!!
ग़ज़ल
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मौत
मौत जगह और समय का इंतजार करती है
ले जाती नही तब तक हम से प्यार करती है।
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है अटल सच कोई झुठला न सकता इसको,
छू भी न सकती जिस से वो करार करती है।
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ये मौत है जो वक्त से पहले दगा न करती है,
वरना ये दहर तो हम पे हरबार वार करती है।
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मौज-मस्तियाँ तब-तक, जब-तक है जिंदगी,
है जिंदा,हयात मुहब्बत का इजहार करती है।
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धड़कने,धमनियाँ, नफ़्स और बहती शिराऐं,
सब हर दम काया से बेदर्द तकरार करती है।
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उफ्फ़ ये मौत शायर “जैदि” कितनी सत्य है,
समय से पहले सभी को दरकिनार करती है।
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मायने:-
करार:-समझोता
दहर:-दुनिया
हयात:-जिंदगी
नफ़्स:-सांस
शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”