मौत बाटे अटल
जे गइल ऊ गइल अब तऽ कऽ लऽ सबर,
जन्म ले के भला के भइल बा अमर!
नाता-रिश्ता इहाँ लोग से जोड़ के,
जे भी आवे ऊ चल दे जहाँ छोड़ के।
सबके एके दशा सबके एके डगर।
जन्म ले के भला के भइल बा अमर!!
फूल मुरझा गइल ना दुबारा खिली,
रोवला से त ना केहू आ के मिली।
कबले माया के परदा रही आँख पर!
जन्म ले के भला के भइल बा अमर!!
याद कऽ लऽ मगर नावँ छोड़ऽ रटल,
सब केहू के इहाँ मौत बाटे अटल।
रंज कइला से आई ना पंछी उतर।
जन्म ले के भला के भइल बा अमर!!
-आकाश महेशपुरी
दिनांक- 25/04/2022