मौत का मुआवजा, की राजनीति
इंसाफ छोड़ो, कीमत लगाओ जान की ।
मुआवजा रखो और लो मजा मौत का ।।
सत्ता से क्या पूछते हो, यही सब फैसला है आपका ।
मर कर अमीर कर गया तुमको अब लो मजा मौत का ।।
भूल जाओ यादों को उसकी, जो रिस्ते में था कुछ आपका ।
कीड़ा समझकर कुचल दिया, अब लो मजा उसकी मौत का ।।
कानून कहता है क्या, कानून की लकीर पीटना है काम आपका ।
सरल है सत्ता का खेल, पैसों से सस्ता है ज़िस्म आवाम का ।।
सत्ता की गोली लगी या कुचल दिया भक्तों की भीड़ ने ।
ये सब फाइलों का काम, तुम मजा लो मौत का ।।
लगा दी आग, जल गया ज़िस्म, अब बाकी बची राख है ।
उसे मिट्टी में मिलने दो, तुम्हारे हाथों में मुआवजे का चैक है ।।
यही कीमत है जान की और यही कीमत है लोकतंत्र की ।
जो काबिज है सत्ता पर वही बोली लगाता है जन आवाम की।।