मोहब्बत
लड़खड़ाता है होंठ मेरा
जब भी दिल की बात
जुबान पर लाने की
नाकाम कोशिश करता हूँ,
बड़े अदब से पास
उनके जाता तो हूँ मगर
पसीने में तरबतर होकर
वापस अपनी जगह झुकाकर
सिर को लौट आ जाता हूँ ;
ये नाकामयाब कोशिशें सिर्फ
मैं ही नहीं सैकड़ों आशिक
अपने माशूकों को पाने के लिए
जहाँ में हर जगह करते हैं,
हालांकि कुछेक कामयाब तो
हो जाते है मगर ज्यादातर
मेरी तरह मोहब्बत माशूकों का
हासिल नहीं कर पाते है ;
इसलिए दुआ करता हूँ
ऐ खुदा किसीको आशिक
न बना ऐसा कि वह मोहब्बत
किसीसे जाहिर ही न कर पाए ,
मेरी तरह नाकाम न हो कोई
मोहब्बत हरेक को नसीब हो जाए!