मोहब्बत अधूरी होती है मगर ज़रूरी होती है
मोहब्बत अधूरी होती है
मगर ज़रूरी होती है
ताकि जान पाओ तुम
कि कुछ है जो शब्दों से परे है
कुछ दायरे हैं जो हदों से बड़े हैं
सीख जाते हो तुम झुकना
और टूटना भी
टूट कर किसी को चाहना भी
टूट कर बिखर जाना भी
जान जाते हो तुम
भीड़ में अकेलेपन का होना भी
तन्हाइयों में खोना भी
परिचित होते हो तुम
भावों के आवेगों से भी
संगीत से रागों से भी
ज़वानी से भी रवानी से भी
हीर रांझा की कहानी से भी
ख़ोज लेते हो तुम
इक होने का रहस्य भी
जुदाई का सामंजस्य भी
पतझड़ में बहार का होना भी
सादगी में श्रृंगार का होना भी
सुनना सीखते हो तुम
मौन से ध्वनित संवाद भी
अनकही हर बात भी
आहटें भी
मुस्कुराहटें भी
ज़िंदगी की धूरी होती है
जैसे इक कस्तूरी होती है
मोहब्बत अधूरी होती है
मगर ज़रूरी होती है।