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13 Jun 2024 · 1 min read

मोहन

मोहन (अमृतध्वनि छंद)

मोहन उसको जानिए,जो लेता मन मोह।
स्नेह व्योम के शीर्ष पर,करे सदा आरोह।।
करे सदा आरोह,प्रेम का,भाव सिखाये।
प्रीति मर्म बन,योग कर्म धन,सहज लुटाये।।
सबका साथी,बने सारथी, अति प्रिय शोभन।
सत्य सुहागी,सदा शुभागी,अनुपम मोहन।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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