मोर सोन चिरैया
बन कोइली कस गीत सुनाय बर,
सुवा ल मीठ मीठ गोठियाय बर
झुरमुट अमराई म हुलास ले के,
आबे सावन के झूला झुलाय बर
बगइचा कस मन ल महकाय बर,
पिरित के बंधना म बंध जाय बर
ए गुइया ओढ़ के मया के अंचरा
आबे मोर अंगना मया बरसाय बर
चिरइया फूल असन मुस्काय बर
मोर गली चंदा असन लजाय बर
पहिर के सुग्घर कोसा के साड़ी
आबे फुलकैना मन ल रिझाय बर
बस्तर के सुग्घर मड़ई घुमाय बर,
तीरथगढ़ झरना मोला देखाय बर
ले के मया रंग मोर सोन चिरैया,
आबे फागुन के तिहार मनाय बर
भाखा मया के मोला सिखाय बर
मया के कुछु चिन्हारी दे जाय बर
ए आंखी देखत हे बस तोर रस्ता,
आबे संगी मया के रीत निभाय बर
✍️ दुष्यंत कुमार पटेल