मोनू , बब्बू और शेर महाशय
मीना अपने लड़के को दवा लाने को कहती है,और मोनू अपनी टूक टूक (सायकल) में सवार हो कर पर्चा हाथ मे लेकर निकलने लगता है। वो अपने घर के मुख्य दरवाजे के पास पहुँचा ही होता है,की तभी घर के अंदर से मीना आवाज लगाती है.!
ओ मोनू रुक ..?
अरे पूरी बात सुनते तो जा..!
यहां वहां घूमने और खेलने मत लग जाना।
और तुझे इतनी दूर जाने को नही कह रही सिर्फ बाजू वाले गली शर्मा जी के स्टोर में जाकर दवा लानी है।इतना दूर नही भेज रही,जो तू अपना टूक-टूक लेकर जा रहा है।
मोनू अपनी मम्मी की बात सुनकर भी अनसुना कर निकल जाता है। दवा स्टोर में जाकर शर्मा जी को पर्ची देकर कहता है,अंकल ऊपर में जो दवा लिखी है वही देना है।बाक़ी दवा बची है।
पर्ची पढ़कर शर्मा जी ―
बेटा मोनू ये दवा अभी नही मिलेगी कल शहर
से मंगाकर देता हूं।
मोनू ―
अंकल पर मम्मी को तो आज ही जरूरत है..?रुको मैं पूछकर आया और पर्ची जल्दी में वही भूलकर घर चला आया।
मोनू ―
घर के बाहर खड़ा होकर आवाज लगाकर मम्मा को बाहर बुला के सारी बात बताता है।
मीना ―
चल छोड़ हटा आ जा घर अंदर तेरे पापा को कहूंगी वो आते हुए लेकर आएंगे ।
मोनू ―
रहने दो मम्मी मैं ही लेकर आ जाता हूं इतने के लिए क्या पापा को फोन करोगी । और भी तो मेडिकल स्टोर है। मैं वहां जाकर देखता हूं। और मैं दवा पर्ची शर्मा अंकल के यहां भूल आया हूँ वो भी लेकर आ जाऊँगा।
मैं चला ….मम्मी बाय..!
और टूक-टूक लेकर निकल पड़ा।
सारे गाँव के मेडिकल स्टोर छान मारे पर वो दवा उसे कहि नही मिला सब एक ही बात बोले कि कल शहर से मंगा कर देता हूं।
मोनू ―
सोचने लगता है सब शहर से मंगा कर देने की बात कर रहे पर कोई अभी मंगा देता हूं ऐसा कोई मेडिकल स्टोर वाले नही कह रहे।क्यो न मैं खुद शहर जाकर ये दवा खरीद लाऊँ पैसे भी है और पर्ची भी है,और शहर जाने का मुझे छोटा शॉर्ट कट रास्ता भी पता है।
इतना सब सोचते-सोचते वो अपने मित्र बब्बू के यहाँ पहुँच जाता है,उसे आवाज लगाकर बुलाता है।पर बाहर बब्बू नही आंटी निकलती है।
आंटी ( पूर्णिमा ) ―
बेटा मोनू बब्बू पढ़ाई करने बैठा है। खेलने जाना है तो वो अभी नही आयेगा । तुम जाओ वो अभी-अभी तो घर आया है। पता नही कहां घूमते रहता है।
मोनू ―
आंटी हमे खेलने नही जाना मम्मा ने दवा मंगाया है। और मुझे बब्बू की इस काम मे मदद चाहिए । क्या कुछ देर के लिए उसे अपने साथ ले जाऊं । उसे इंग्लिश अच्छे से आती है,और जो दवा मेडिकल वाले से मांगेंगे उसे पर्ची से मिलाकर वो मुझे देगा।
आंटी ( पूर्णिमा ) ―
अरे मोनू बेटा तुम पर्ची मेडिकल वाले को देना वो दवा निकालकर तुम्हे दे देगा फिर तुम अपनी मम्मी को दे देना।
मोनू ―
आंटी जी आप ठीक कह रही है पर मुझे दवा ले जाने में तीन से चार बार गड़बड़ी हो गई है। पर्चे में कुछ और दवा होती है और स्टोर वाले कुछ और दे देते है। इसलिए मुझे बब्बू की मदद चाहिए उसे इंग्लिश आती है दवा कौन सा है वही है कि नही ये बस बतायेगा । मैं इंग्लिश में कमजोर हूँ ना तो मैं उसे अपने साथ ले जाऊं हम जल्द ही आ जायेंगे।
आंटी ―
ठीक है बेटा मोनू जाओ पर जल्द आ जाना कहि खेलने-कूदने ना रुक जाना । आंटी बब्बू को आवाज लगाती है।
बब्बू ―
क्या हुआ मम्मी अपने कमरे से चिल्लाकर कहता है।
आंटी ―
अरे नीचे तो आ मोनू आया है।
बब्बू ―
आ रहा हूँ..!
बब्बू पेन कॉपी लेकर भागता वहां आता है। फिर आंटी उसे मेरे साथ जाने कहती है। और कहेगी भी क्यों नही मैंने बब्बू की तारीफ जो कर दी थी । पर वो तारीफ झूठी नही थी और ना ही हमने झूठ बोला था,झूठ यही था कि हम पास के स्टोर में नही बल्कि शहर के मेडिकल स्टोर में दवा लेने जाने वाले थे।
आंटी ―
बब्बू जा जल्दी कपड़े बदल लें और फ्रेश हो जा
बब्बू ―
सब ठीक तो है मम्मी मैं जा रहा हूँ । और पेन जेब मे रख लेता है । कॉपी को वही सोफ़े में रख देता है । और मम्मी से कहता है ये मेरे स्ट्डी रूम में रख देना।
आंटी ―
जल्दी आना होम वर्क भी करना है । बब्बू ने भी चिल्लाकर हाँ कहा , और हम निकल गए शहर की ओर ।
बब्बू ―
मोनू हम कहां जा रहे है,तुमने कहां की हम मेडिकल स्टोर जायेगे ।
मोनू ―
हा यार बब्बू हम मेडिकल स्टोर ही जा रहे है । यहाँ हमारे गाँव मे मुझे वो दवा मिली ही नही तो हम शहर जा रहे है।
बब्बू ―
यार मोनू पर शहर तो 15 किलोमीटर दूर है।हम टूक-टूक में ही जायेंगे तो शाम हो जाएगा और घर मे डॉट भी पड़ेगा । चल वापस बोल देना यहां किसी भी स्टोर में वो दवा नही मिला या अपने पापा से मंगा लेना ।
मोनू ―
नही भाई बब्बू मम्मी को वो दवा आज ही चाहिए और पापा को क्या परेशान करना मुझे एक शॉर्ट कट रास्ता पता है । जो जंगल के रास्ते से होकर सीधे शहर को निकलता है।
बब्बू ―
यार मोनू तुझे कैसे पता..?
मोनू ―
मैं अपने पापा के साथ शहर उसी रास्ते से जाता हूँ तो मुझे पूरा रास्ता पता है।
बब्बू ―
पर मोनू उस रास्ते से जाने में खतरा है।
मोनू ―
नही कोई खतरा नही है। हम तो उसी रास्ते से आते जाते है। और बब्बू देख बातें करते करते हम पूरा जंगल पर कर शहर पहुँच गए।
बब्बू ―
अरे हा भाई मोनू हम तो शहर पहुँच भी गए । अब जल्दी मेडिकल स्टोर मिल जाये और तेरी दवा भी फिर जल्द घर लौट जाए ।
मोनू ―
अरे यार बब्बू वो देख मेडिकल स्टोर चल जल्दी टूक-टूक घुमा ले ।
बब्बू ―
टूक-टूक घुमा कर स्टोर में ले जाता है दवा लेकर वो वापस आ रहे होते है । इस बार टूक-टूक मोनू चला रहा होता है, दिन ढल गई शाम हो गया अब वो जंगल के अंदर प्रवेश करते है । बब्बू को अब डर लगने लगा था । बब्बू बड़बड़ाते हुए मोनू पर गुस्सा हो रहा होता है । देख यार मोनू तेरे कारण शाम हो गया । अब मम्मी की डॉट और मार खानी पड़ेगी । तू चिंता मत कर मेरे दोस्त बब्बू कुछ नही होगा मैं सब सम्हाल लूंगा ।
तभी इतने में जंगल के बीचों बीच उनका सामना शेर से हो जाता है।
मोनू ―
शेर को देखकर टूक-टूक की स्पीड बढ़ा देता है।
बब्बू ―
यार तू इतना तेज क्यों चला रहा है।
मोनू ―
बब्बू को कुछ नही बताता उसे पता था वो और डर जाएगा एक तो घर की डांट से डरा है और इस जंगल से भी और शेर एक जोरदार दहाड़ मरता है । बब्बू ये सुन कर डर के मारे चिल्लाने लगता है।
बब्बू ―
मोनू यार अब क्या करेगे ये हमे खा जाएगा । तू थोड़ा टूक-टूक और तेज भगा।
मोनू ―
अब क्या टूक-टूक भगाऊँ वो तो हमारे सामने ही खड़ा है। दोनो टूक-टूक से नीचे उतर जाते है और खड़े हो जाते है।
शेर ―
आज मुझे बड़ा स्वादिष्ट खून और मांस खाने को मिलेगा । तुम दोनों तैयार हो जाओ मेरा भोजन बनने को और उनकी तरफ बढ़ते हुए कहता है। दोनो में से किसे पहले खाऊँ
मोनू ―
झट से शेर के सामने आकर कहता है । मुझे खा लो पर मैं तो बहुत बीमार हूँ । मुझे खाने के बाद आपको भी बीमारी लग जायेगी या फिर शेर महाशय आप की मृत्यु भी हो सकती है। फिर भी भूख से मरने से तो अच्छा है तुम मुझे खा ही जाओ।
शेर ―
अरे नही ऐसा गोस (माँस) मुझे नही खाना इतना भी तेज भूख नही लगी है । और मैं पहले से ही बीमार हूँ।
पर शेर महाशय को मोनू की बातों पर जरा भी विश्वास नही होता और वो मोनू से बातें करने लगता है। जब तुम बीमार हो तो इस जंगल मे क्या कर रहे हो,घर मे मम्मी पापा के साथ होना चाहिए ।
तभी मोनू ―
शेर महाशय को अपनी दवा की पर्ची और दवा दिखाता है,और कहता है ये है दवा इसे लाने ही हम शहर गए थे दवा लेकर आ ही रहे थे कि इतने में आप हमें मिल गए।
अब शेर ―
उसे यकीन हो जाता है। ये बच्चा सच बोल रहा अब वो बब्बू की तरफ हौले हौले बढ़ता है,बब्बू उस शेर को अपने तरफ बढ़ता देख घबराने लगा जैसे जैसे शेर बब्बू के करीब जा रहा था बब्बू की दिल की धड़कन और घबराहट बढ़ने लगी और इस घबराहट में वो अपनी पैंट गीली कर देता है।
बब्बू ―
अब बब्बू भी अपना दिमाग दौड़ाता हैं और वो भी शेर के पास जाकर कहता है शेर अंकल आप मुझे खाने आ रहे हो पर मैं इतना डरा हूं कि देखो डर के मारे मेरी सुसु निकल गई ।
शेर ―
हमे देखकर अच्छे अच्छे की पेंट गीली हो जाती हैं,और तुम तो एक बच्चे हो।
बब्बू ―
अरे वही तो बोल रहा हूं शेर अंकल मैं एक बच्चा हूँ और आप मुझे खाने की सोच रहे हो पर शायद आप को पता नही मुझे खाकर भी आप की भूख शान्त नही होगी । आप का पेट बड़ा और मैं तो हूँ छोटा और अपनों ये भी नही पता होगा। मुझे तो मेरे दोस्त मोनू से भी गंभीर बीमारी है।
शेर ―
अब शेर गुस्से से लाल होकर एक दहाड़ लगा देता है.! और कहता है..! तुम दोनों मिलकर मुझे उल्लू बना रहे हो । तुम्हे पता नही क्या मैं जंगल का राजा शेर हूँ।
बब्बू ―
हमे पता है शेर अंकल..?
हम तो आप को सच ही बता रहे है।
मोनू और मेरी तबियत सच मे खराब है ।
आप को विश्वास नही तो मैं अभी अपना हाथ
काट कर आपको अपना खून चखाता हूँ..!
इतना कहते हुए बब्बू अपनी पैंट से पेन
निकालकर हाथ काटने का गज़ब अभिनय के
साथ फाउन्टेन पेन की काली स्याही अपने हाथ
मे उड़ेल देता है। और शेर के मुंह मे वो स्याही
उसे चखने को देता है।
शेर ―
शेर भी उसे खून समझकर जब पीने लगा तो उसे वो स्वाद अटपटा सा लगा और वो खून का रंग भी लाल नही था। यह देखकर शेर आश्चर्य में पड़ गया उसे यकीन हो गया कि ये सच बोल रहा है। फिर शेर मोनू की तरफ बढ़ा तभी बब्बू ने उसे अपने बातों में उलझाकर मोनू को लाल कलर की फाउंटेन पेन उसे पकड़ा दी ।
मोनू ―
समझ गया कि उसे भी इसी तरह का झूठ शेर को बोलना है । और उसने शेर महाशय को कहाँ आप को मुझ पर भी यकीन नही तो मैं भी अपना हाथ काटकर अपना खून आप को चखाता हूँ। मेरा खून लाल है पर शायद तबियत खराब होने के कारण उस खून में मिठास नही । अब यह तो आपको खून चख कर ही पता चलेगा । और फिर मोनू ने भी बब्बू की तरह बड़ा गज़ब अभिनय किया हाथ काटने का और पेन की स्याही शेर के मुंह मे गिरा दिया ।
शेर ―
अब शेर को पूरा यकीन हो गया ये दोनों सच
बोल रहे है। लेकिन शेर कहता है मैं तुम दोनों
को जाने तो नही दूँगा..?
मोनू ―
मोनू कहता है..!
शेर महाशय ठीक है ।
लेकिन आप तो हमारे साथ चल सकते हों
आप अगर हमारे साथ गाँव तक चलो तो हम आपके लिए कुछ कर सकते है । हम दोनों गाँव में जाकर किसी को बुला लाएंगे और फिर आप उसे खा लेना । या तो मेरे पड़ोस में बकरी पालने वाला रहता है। उसकी बकरी ले आऊँगा आप उससे अपनी भूख शांत कर लेना ।
शेर ―
शेर खूब जोर जोर से हँसने लगता है । और दहाड़ मारने लगता है।कहता है मुझे तुमने मूर्ख समझा है..? जो मैं तुम दोनों को जाने दूँगा ।
बब्बू ―
शेर अंकल आप अब तो हमारे दोस्त हो गए हो तो हम आप को मूर्ख क्यो बनाएंगे । अच्छा आप ऐसा करो हमारे साथ गाँव मत चलो पर गाँव के नजदीक तो जा सकते हो आप जंगल मे ही रहना और आप हम दोनों में से किसी एक को जाने दो ताकि हम आप के भोजन का बंदोबस्त कर सके।
शेर ―
उसे बब्बू की बात पसन्द आ गया और शेर उनके साथ गाँव की तरफ बढ़ने लगा । शर्त यह है कि ये लड़का पीछे वाला मेरे साथ यही रुकेगा और तुम गाँव जाकर मेरे लिए किसी इंसान या मवेशी को लेकर आओगे । अगर आने में देर हुई तो मैं तुम्हारे दोस्त को खा जाऊँगा ।
बोलो शर्त मंजूर है।
मोनू ―
शेर महाशय आप बब्बू को जाने दो मुझे अपने
पास रख लो ।
शेर ―
नही तुम को खाकर मुझे मरना नही है । तुम्हे तो बीमारी है । तुमने कहा था और उसे बीमारी नही है । और अगर हो भी तो उसे खाकर मैं मारूंगा तो नही सिर्फ उसका खून काला है।उसे खाने के बाद मेरा भी खून काला ही होगा।
मोनू ―
नही ऐसा नही है शेर महाशय आपकी मृत्यु हो सकती है हम दोनों में से किसे भी खावोगे तो आप बचोगे नही।
फिर भी आप नही मानोगे तो हम दोनों को ही खा जाओ। हम तो आप का भोजन बनने को तैयार है..?
मोनू ― क्यो बब्बू सच कहा ना…..
बब्बू ― हॉ भाई मोनू ― बिल्कुल सही है..!
शेर अंकल आप हमें खा ही जाओ पर आप हमें खा गए तो स्वादिष्ट ,माँस, भोजन मिलते–मिलते रह जायेगा ।
और पता नही आप को शेर अंकल तो बता दूँ फिर आप को कभी खाने की जरूरत भी नही पड़ेगा क्योंकि आप भी हमारी तरह मर ही जायेंगे हमे खाने के बाद ।।
शेर ―
शेर नही मानता वो बब्बू को अपने पास रोक लेता है । और मोनू को गाँव भेज देता है। मोनू गाँव जाकर सबसे पहले शर्मा जी के मेडिकल स्टोर जाता है ।सारी घटना बताता है। और मदद मांगता है। अब शर्मा जी मोनू की बातों पर पहले विश्वास नही करते तो मोनू दवा दिखाता है।फिर शर्मा जी तुंरत फारेस्ट (वन विभाग से) सम्पर्क करते है । और मोनू आगे बढ़ जाता है चौपाल में लोगे बैठे होते है उन्हें भी बताता है। फिर सारे गाँव वाले और शर्मा जी वन विभाग के कर्मचारियों के साथ दल बनाकर शेर को पकड़ने और बेहोश करने वाले इंजेक्शन जाल के मदद से सारे गाँव वाले जंगल के चारो और फैल जाते है।
मोनू ―
शेर से जैसे कहां था वह गाँव से बकरी लेकर
शेर के पास जाता है। शेर उसे दूर से आते हुए देख लेता है । और खुश हो जाता है।
शेर ―
शेर बब्बू से बातें करता है.. तुम्हारा दोस्त सच मे मेरे लिये भोजन लेकर आ रहा है। मुझे लगा वो गाँव के लोगो को साथ लायेगा । और मैं उनमे से किसी एक को अपना शिकार बना कर ले जाऊंगा।
बब्बू ―
बब्बू ये सुन कर फिर से पेन्ट गिला कर देता है।
मोनू ―
मोनू बकरी के साथ पहुँच गया और उसे अपने बातों में उलझाकर रखता है। और बब्बू को इशारे करने लगता है। पहले बब्बू को समझ नही आया फिर वो शर्मा जी के साथ बन्दूक पकड़े आदमी को देखता है तो समझ जाता है। और शेर के दाएं तरफ खड़ा हो जाता है।
अब बब्बू दाएं और और मोनू बाएं और खड़ा होकर उसका ध्यान भटकाने लगते है। सामने बकरी जिसे देख शेर के मुंह मे पानी आने लगता है।
वन विभाग कर्मचारियों ― दाएँ – बाएँ और पीछे से गोली चलाते हैं,शेर को 3 गोली पीछे से और 2 गोली बाएँ से एक गोली दाएँ से लगता है और वो बोहोश हो जाता है। उसे जाल में डालकर पकड़ लेते है। फिर पिजरे वाली गाड़ी में डालकर उसे सही सलामत वन विभाग के कर्मचारी जंगल सफारी में छोड़ आते है।
ये खबर शनशनी की तरह पूरे गाँव मे फैल जाता है। बब्बू और मोनू की मम्मी भी भागी-दौड़ी वहां पहुँचते है। पहले लाड़-दुलार करते है । फिर डॉट लगाते है। मना किया था ना दूर जाने को ….फिर क्यों गया।
सीख ―
(1) इस कहानी से हमसे ये सीख मिलती है, कि माँ – पापा का कहना मानो ।
(2) कई बार बड़ी मुसीबतें भी छोटी सी युक्ति आज़मा कर टाली जा सकती हैं ।
(3) विपरीत परिस्थितियों में ही बुद्धि की परख होती है,भगवान ने हमे सबसे बड़ा बल― बुद्धि (दिमाग़) दिया है। इसका इस्तेमाल कर के बड़े से बड़े संकट को टाला जा सकता है ।
(4) जैसे बब्बू और मोनू ने बड़ी चतुराई से अपनी जान और पूरे गाँव को उस शेर के आतंक से बचाया ।
©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छःग)