“मैं हूँ तुम्हारे पास ही “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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आवाज देने की
बस यूँ देर है
मैं दौड़ कर
पास आता रहूँगा !
मुझे ढूँढने की
कोई बात नहीं
जहाँ चाहो
वहीं पहुँचता रहूँगा !!
तुम्हारे इर्द -गिर्द
ही रहता हूँ
तुम्हारी धड़कनों
को सुनता हूँ !
तुम्हें मालूम
शायद हो ना हो
तुम्हारे दिल में
ही तो रहता हूँ !!
अकेले तुम ना
समझो राह में
मैं साथ तुम्हारे
चलता रहूँगा !
मुझे ढूँढने की
कोई बात नहीं
जहाँ चाहो वहीं
पहुँचता रहूँगा !!
तुम्हारी प्यार
की बातें अभी
तक कानों मे
मेरे गूँजती है !
तुम्हारी मधुर
किलकारियाँ
अभी तक जह्न
में घूमती है !!
तुम्हारे पास ही
हूँ अब तलक
एहसास मैं
सदा करता रहूँगा !
मुझे ढूँढने की
कोई बात नहीं
जहाँ चाहो वहीं
पहुँचता रहूँगा !!
दूरियाँ कुछ भी
नहीं अब रही
जब जी करे
दीदार हो जाएगा !
मधुर प्यार के
सौगात का ही
आभास सुंदर
मिल ही जाएगा !!
फिर भी तुम
मुझे याद करना
मैं दौड़ कर
पास आता रहूँगा !
मुझे ढूँढने की
कोई बात नहीं
जहाँ चाहो वहीं
पहुँचता रहूँगा !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
26.02.2022.