Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Sep 2024 · 1 min read

मैंने हर मंज़र देखा है

शीर्षक मैंने हर मंज़र देखा है

मैंने हर मंज़र को देखा है
हॅ़सते हुए घर में सबको रोते देखा है
उम्र में अभी बहुत नादान हूॅं मैं
फिर भी ख़्वाहिशों का दम घुटते देखा है।

मैने हर मंज़र को देखा है……..

सब की जान बनकर ख़ुद को
बिन पंखों के आकाश में उड़ते देखा है
कुछ ग़लतफ़हमियों में खुद को पल भर
में फिर फ़र्श पर बेजान पंछी
की तरह गिरते देखा है।

मैने हर मंज़र देखा है….…

ख़ुद की जीत पर कभी ज़श्न मत मनाना
मैंने ज़श्न को भी हार में बदलते देखा है
गु़रुर ना कर कभी खुद पर इतना
मैंने गु़रुर को भी चूर-चूर होते देखा है।

मैंने हर मंज़र देखा है….

महफ़िल में बैठे लोगों की बात पर ग़ौर न कीजिए
उन्हीं लोगों को बाहर निकलते ही
मैंने रुख़ बदलते देखा है
जो सच के मुॅंह पर सच न कह पाया
अक्सर उन्हें ही महफ़िल में मैंने
सच-सच कहता हूॅं कहते सुना है।

मैंने हर मंज़र देखा है….

अक्सर जो बातें गुफ़्तगू में की जाती है
बड़ी खतरनाक होती है
शै और मात की अक़्सर वो साज़िश होती है।
ऐसे चेहरे पर मैंने अक्सर एक मुखौटा लगा देखा है।

मैंने मंज़र कर देखा है…..

हरमिंदर कौर
अमरोहा यूपी

15 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रंगों का महापर्व होली
रंगों का महापर्व होली
इंजी. संजय श्रीवास्तव
संवेदनहीन
संवेदनहीन
अखिलेश 'अखिल'
राष्ट्र भाषा -स्वरुप, चुनौतियां और सम्भावनायें
राष्ट्र भाषा -स्वरुप, चुनौतियां और सम्भावनायें
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
Neelofar Khan
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कहां गयी वो हयादार लड़कियां
कहां गयी वो हयादार लड़कियां
shabina. Naaz
मेरे ख्वाब ।
मेरे ख्वाब ।
Sonit Parjapati
भगिनि निवेदिता
भगिनि निवेदिता
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तन्हाई को तोड़ कर,
तन्हाई को तोड़ कर,
sushil sarna
शीर्षक - 'शिक्षा : गुणात्मक सुधार और पुनर्मूल्यांकन की महत्ती आवश्यकता'
शीर्षक - 'शिक्षा : गुणात्मक सुधार और पुनर्मूल्यांकन की महत्ती आवश्यकता'
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
सृजन
सृजन
Bodhisatva kastooriya
अपने एहसास
अपने एहसास
Dr fauzia Naseem shad
* धन्य अयोध्याधाम है *
* धन्य अयोध्याधाम है *
surenderpal vaidya
नौकरी (१)
नौकरी (१)
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"सूर्य -- जो अस्त ही नहीं होता उसका उदय कैसे संभव है" ! .
Atul "Krishn"
2825. *पूर्णिका*
2825. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जीवन के दिन चार थे, तीन हुआ बेकार।
जीवन के दिन चार थे, तीन हुआ बेकार।
Manoj Mahato
"हूक"
Dr. Kishan tandon kranti
*जीवन में हँसते-हँसते चले गए*
*जीवन में हँसते-हँसते चले गए*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लोग मेहनत से एक एक रुपए कमाते हैं
लोग मेहनत से एक एक रुपए कमाते हैं
Sonam Puneet Dubey
द्रवित हृदय जो भर जाए तो, नयन सलोना रो देता है
द्रवित हृदय जो भर जाए तो, नयन सलोना रो देता है
Yogini kajol Pathak
..
..
*प्रणय प्रभात*
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
Anand Kumar
गणेश जी पर केंद्रित विशेष दोहे
गणेश जी पर केंद्रित विशेष दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जमाना इस कदर खफा  है हमसे,
जमाना इस कदर खफा है हमसे,
Yogendra Chaturwedi
करते हैं सभी विश्वास मुझपे...
करते हैं सभी विश्वास मुझपे...
Ajit Kumar "Karn"
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
संसार का स्वरूप(3)
संसार का स्वरूप(3)
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
उससे शिकायत यह नहीं कि
उससे शिकायत यह नहीं कि
gurudeenverma198
Loading...