मैं पैसा हुँ।
मैं काला हुँ मैं सफेद हुँ
तेरे मन का भेद हुँ
मैं ऐसा हुँ मैं वैसा हुँ
अरे मैं पैसा हुँ।
काम औऱ मेहनत का मेल हुँ
हाथ के पसीने
लाल छालों जैसा हुँ
अरे मैं पैसा हुँ।
तेरे कामों का हिसाब
लालच की सीमा
संकट मे भाई जैसा
अरे मैं पैसा हुँ।
मुश्किल है काम
लगा ले दाम
दिखता है जादू जैसा
अरे मैं पैसा हुँ।
अपने को बेगाना कर
बेगाने को अपना
काम है सौतन जैसा
अरे मैं पैसा हुँ।
न मैं काला
न मैं सफेद
ये सब तेरे मन का भेद
अरे मैं पैसा हुँ।
रचनाकार :– प्रेम कश्यप