Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2022 · 2 min read

मैं पिता हूं।

मैं पिता हूँ -.-.-.-दो👬बच्चों का-.-.-.-.-
रखवाला🕕🕕🕕मैं उनके अच्छे बुरे गुणों का।

वह दोनों तो है मेरे जीवन के अनमोल💎💎💎रतन।।
देखूँ चाहे जितना उनको ना भरते मेरे दोनों👁👁 नयन।।

ना जानें क्या रहता है हर क्षण उनके मन मे कौतूहल🙄🙄🙄!!!
उनके रहने से घर में रहती है बडी चहल- पहल🤸🤸🤸।।।

दोनों बच्चों में है चार 4⃣4⃣4⃣बरस का अंतराल…
बड़ा तो बड़ा है ही छोटा भी है इक 🏄🏄🏄कमाल…

बड़ा🕴🕴🕴पुत्र है
कक्षा दो 2⃣2⃣2⃣में…—…—…—
छोटे का✍✍✍
दाखिला हुआ🅰🆎🅱 नर्सरी में…

पढ़ने में है★★★दोनों ही अच्छे।★★★
पुत्र रूप में ◆◆◆रतन है मेरे बच्चे।●●●

इधर तीन3⃣ चार4⃣वर्षों से★★★पैसों की तंगी है मेरे जीवन में।।
हे ईश्वर,★★★तुझसे मेरी यही प्रार्थना है कमी ना रहे उनके बचपन में।।★■★■★

ह्रदय मेरा व्यथित हो जाता है लेकर उनकी शिक्षा👔👔।।
क्रोध भी कर लेता हूं स्वयं पर जब ना कर पाता उनकी इच्छा।।

पुत्र के लिए पिता ही होता है उनका जग में सब कुछ👓👓👓…
उसी से ही अधिकार से मांगते है वह दुनियाँ में सब कुछ🤹🤹🤹…

कभी-कभी तो बड़ा असहाय मैं स्वयं को पिता के रूप में मैं 👤👤👤महसूस करता हूं।
हृदय द्रवित 🌧🌧🌧हो जाता है जब पुत्रों की अभिलाषा मरतें देखता हूँ।

अपनी निर्धनता के कारण मैं उन पर कभी- कभी😡😠😡चिल्लाता हूँ।।
कोई वस्तु🍦🍨🍦उनके कहने पर जब घर पर ना ला पाता हूँ।।★★■■★

प्रत्येक शाम को वह दोनो👬मेरी प्रतीक्षा करतें है।
मेरे आने पर बड़ी मासूमियत से कुछ🍬🍭🍬लानें का पूंछते है।

अक्सर छोटा वाला ही उत्सुकता से मेरी तरफ देखता है।।
कुछ ना लाने पर वही अपनी बातों के व्यंग्य😜😜😜 मुझ पर फेकता है।।

अब क्या कहे उनका मन कितना कोमल💐💐💐 कितना निश्छल🌹🌹🌹होता है।
फिर से मेरा भी मन जीने को अपना बचपन🤾🤼🤸 होता है।

दोनों की जोड़ी राम लखन👥👥👥की लगती है।
पर दोनों में एक भी क्षण आपस में ना 🤼🤼🤼पटती है।

छोटा वाला घर पर ही चहल🤸🤸🤸पहल करता है।
बड़ा वाला पत्नी🤱🤱🤱की मार खाकर भी बाहर जाने से ना डरता है।

मेरे घर पर रहने से अक्सर वह दोनों शेर🏋🏋🏋बन जाते है।
उनको पता है पिता के रहने से वह माँ की मार डांट 🧟🧟🧟ना खाते है।

अक्सर बड़े 🤹🤹🤹वाले के जन्म दिवस 🎈🎈🎈पर घर पर पैसा ना होता है।
घर पर ही बातों से मनाकर जन्म दिवस फिर पिता ये चुपके से 😭😭😭रोता है।

हर बरस ही उसको बातों से बहलाता हूँ।
एक साइकिल🚴🚴🚴की ख़ातिर उसको कब से टहलाता हूँ।

छोटा वाला👶👶👶भी अब धीरे-धीरे सब समझने लगा है।
कभी-कभी वह भी मुझसे छोटी-छोटी बातों में बड़ी बात 🤫🤫🤫कहने लगा है।

हे ईश्वर, तेरी यह कैसी लीला✍✍✍ है।
देकर मुझको 🚐🚐सबकुछ फिर क्यों⏳⏳छीना है।

उनके रहने से हर क्षण शोभा🌺🌻घर मे रहती है।
खुशियां भी खुश होकर मेरे घर🏘🏘 मे बसती है।

हे ईश्वर,🙏🙏बस मुझको इतना देना की मैं इनकी इच्छा पूरी कर दूं।
बाकी का शेष जीवन अपना इन्ही को समर्पित कर दूं।

आज पड़ोस के घर के दृश्य ने मन मेरा बड़ा द्रवित😭😭😭कर दिया है।
सारे पुत्रों ने मिलकर मात-पिता को उनके ही घर🏚🏚🏚से बहिष्कृत कर दिया है।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

2 Likes · 2 Comments · 596 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन दुखों से भरा है जीवन के सभी पक्षों में दुख के बीज सम्मि
जीवन दुखों से भरा है जीवन के सभी पक्षों में दुख के बीज सम्मि
Ms.Ankit Halke jha
जहरीले धूप में (कविता )
जहरीले धूप में (कविता )
Ghanshyam Poddar
पत्थर
पत्थर
Shyam Sundar Subramanian
बेशक नहीं आता मुझे मागने का
बेशक नहीं आता मुझे मागने का
shabina. Naaz
शेरे-पंजाब
शेरे-पंजाब
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मदिरा वह धीमा जहर है जो केवल सेवन करने वाले को ही नहीं बल्कि
मदिरा वह धीमा जहर है जो केवल सेवन करने वाले को ही नहीं बल्कि
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
प्यारा-प्यारा है यह पंछी
प्यारा-प्यारा है यह पंछी
Suryakant Dwivedi
गीता में लिखा है...
गीता में लिखा है...
Omparkash Choudhary
स्वस्थ्य मस्तिष्क में अच्छे विचारों की पूॅजी संकलित रहती है
स्वस्थ्य मस्तिष्क में अच्छे विचारों की पूॅजी संकलित रहती है
Tarun Singh Pawar
निराशा क्यों?
निराशा क्यों?
Sanjay ' शून्य'
एक मैं हूँ, जो प्रेम-वियोग में टूट चुका हूँ 💔
एक मैं हूँ, जो प्रेम-वियोग में टूट चुका हूँ 💔
The_dk_poetry
जीवन में प्राथमिकताओं का तय किया जाना बेहद ज़रूरी है,अन्यथा
जीवन में प्राथमिकताओं का तय किया जाना बेहद ज़रूरी है,अन्यथा
Shweta Soni
To improve your mood, exercise
To improve your mood, exercise
पूर्वार्थ
*चिंता चिता समान है*
*चिंता चिता समान है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मेरे बुद्ध महान !
मेरे बुद्ध महान !
मनोज कर्ण
खिलते फूल
खिलते फूल
Punam Pande
"मनभावन मधुमास"
Ekta chitrangini
■ आज का आभार
■ आज का आभार
*Author प्रणय प्रभात*
गुस्सा दिलाकर ,
गुस्सा दिलाकर ,
Umender kumar
भागो मत, दुनिया बदलो!
भागो मत, दुनिया बदलो!
Shekhar Chandra Mitra
वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है...
वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है...
Ram Babu Mandal
*
*"तुलसी मैया"*
Shashi kala vyas
"पाठशाला"
Dr. Kishan tandon kranti
मन खामोश है
मन खामोश है
Surinder blackpen
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
ज़माने में बहुत लोगों से बहुत नुकसान हुआ
ज़माने में बहुत लोगों से बहुत नुकसान हुआ
शिव प्रताप लोधी
Meditation
Meditation
Ravikesh Jha
*प्रबल सबसे बड़ा जीवन में, सब का भाग्य होता है 【 मुक्तक 】*
*प्रबल सबसे बड़ा जीवन में, सब का भाग्य होता है 【 मुक्तक 】*
Ravi Prakash
सद्ज्ञानमय प्रकाश फैलाना हमारी शान है।
सद्ज्ञानमय प्रकाश फैलाना हमारी शान है।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
राम की आराधना
राम की आराधना
surenderpal vaidya
Loading...