मैं पिता हूं।
मैं पिता हूँ -.-.-.-दो👬बच्चों का-.-.-.-.-
रखवाला🕕🕕🕕मैं उनके अच्छे बुरे गुणों का।
वह दोनों तो है मेरे जीवन के अनमोल💎💎💎रतन।।
देखूँ चाहे जितना उनको ना भरते मेरे दोनों👁👁 नयन।।
ना जानें क्या रहता है हर क्षण उनके मन मे कौतूहल🙄🙄🙄!!!
उनके रहने से घर में रहती है बडी चहल- पहल🤸🤸🤸।।।
दोनों बच्चों में है चार 4⃣4⃣4⃣बरस का अंतराल…
बड़ा तो बड़ा है ही छोटा भी है इक 🏄🏄🏄कमाल…
बड़ा🕴🕴🕴पुत्र है
कक्षा दो 2⃣2⃣2⃣में…—…—…—
छोटे का✍✍✍
दाखिला हुआ🅰🆎🅱 नर्सरी में…
पढ़ने में है★★★दोनों ही अच्छे।★★★
पुत्र रूप में ◆◆◆रतन है मेरे बच्चे।●●●
इधर तीन3⃣ चार4⃣वर्षों से★★★पैसों की तंगी है मेरे जीवन में।।
हे ईश्वर,★★★तुझसे मेरी यही प्रार्थना है कमी ना रहे उनके बचपन में।।★■★■★
ह्रदय मेरा व्यथित हो जाता है लेकर उनकी शिक्षा👔👔।।
क्रोध भी कर लेता हूं स्वयं पर जब ना कर पाता उनकी इच्छा।।
पुत्र के लिए पिता ही होता है उनका जग में सब कुछ👓👓👓…
उसी से ही अधिकार से मांगते है वह दुनियाँ में सब कुछ🤹🤹🤹…
कभी-कभी तो बड़ा असहाय मैं स्वयं को पिता के रूप में मैं 👤👤👤महसूस करता हूं।
हृदय द्रवित 🌧🌧🌧हो जाता है जब पुत्रों की अभिलाषा मरतें देखता हूँ।
अपनी निर्धनता के कारण मैं उन पर कभी- कभी😡😠😡चिल्लाता हूँ।।
कोई वस्तु🍦🍨🍦उनके कहने पर जब घर पर ना ला पाता हूँ।।★★■■★
प्रत्येक शाम को वह दोनो👬मेरी प्रतीक्षा करतें है।
मेरे आने पर बड़ी मासूमियत से कुछ🍬🍭🍬लानें का पूंछते है।
अक्सर छोटा वाला ही उत्सुकता से मेरी तरफ देखता है।।
कुछ ना लाने पर वही अपनी बातों के व्यंग्य😜😜😜 मुझ पर फेकता है।।
अब क्या कहे उनका मन कितना कोमल💐💐💐 कितना निश्छल🌹🌹🌹होता है।
फिर से मेरा भी मन जीने को अपना बचपन🤾🤼🤸 होता है।
दोनों की जोड़ी राम लखन👥👥👥की लगती है।
पर दोनों में एक भी क्षण आपस में ना 🤼🤼🤼पटती है।
छोटा वाला घर पर ही चहल🤸🤸🤸पहल करता है।
बड़ा वाला पत्नी🤱🤱🤱की मार खाकर भी बाहर जाने से ना डरता है।
मेरे घर पर रहने से अक्सर वह दोनों शेर🏋🏋🏋बन जाते है।
उनको पता है पिता के रहने से वह माँ की मार डांट 🧟🧟🧟ना खाते है।
अक्सर बड़े 🤹🤹🤹वाले के जन्म दिवस 🎈🎈🎈पर घर पर पैसा ना होता है।
घर पर ही बातों से मनाकर जन्म दिवस फिर पिता ये चुपके से 😭😭😭रोता है।
हर बरस ही उसको बातों से बहलाता हूँ।
एक साइकिल🚴🚴🚴की ख़ातिर उसको कब से टहलाता हूँ।
छोटा वाला👶👶👶भी अब धीरे-धीरे सब समझने लगा है।
कभी-कभी वह भी मुझसे छोटी-छोटी बातों में बड़ी बात 🤫🤫🤫कहने लगा है।
हे ईश्वर, तेरी यह कैसी लीला✍✍✍ है।
देकर मुझको 🚐🚐सबकुछ फिर क्यों⏳⏳छीना है।
उनके रहने से हर क्षण शोभा🌺🌻घर मे रहती है।
खुशियां भी खुश होकर मेरे घर🏘🏘 मे बसती है।
हे ईश्वर,🙏🙏बस मुझको इतना देना की मैं इनकी इच्छा पूरी कर दूं।
बाकी का शेष जीवन अपना इन्ही को समर्पित कर दूं।
आज पड़ोस के घर के दृश्य ने मन मेरा बड़ा द्रवित😭😭😭कर दिया है।
सारे पुत्रों ने मिलकर मात-पिता को उनके ही घर🏚🏚🏚से बहिष्कृत कर दिया है।
ताज मोहम्मद
लखनऊ