मैं देखता रह गया
******* मैं देखता रह गया *******
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तुम जाने लगे मैं देखता रह गया
कुछ भी ना कहा मैं झांकता रह गया
जी भरा भी नहीं तुम थे चल दिए
तेरी हरकतों को मैं निहारता रह गया
रुकते रुकते तुम आखिर चल ही दिए
तेरे बढ़े कदम मैं ताकता रह गया
रुहानी चेहरा तुम्हारा मैंने देखा
चाँद सा मुखड़ा मैं चाहता रह गया
तेरी चढ़ती जवानी का देखा असर
दिल तड़फा मेरा मैं मचलता रह गया
सुखविन्द्र ज़फा से तेरी सठिया गया
राही गुजर गए खाली रास्ता रह गया
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)