मैं तो एक नादान परिंदा हूं
मैं तो एक नादान परिंदा हूं
ख्वाहिशो पर ही जिंदा रहता हूं
खुले आसमान में उड़कर,
हवा से अपने जज्बातों को सांझा करता हूं..!
– Krishan Singh
मैं तो एक नादान परिंदा हूं
ख्वाहिशो पर ही जिंदा रहता हूं
खुले आसमान में उड़कर,
हवा से अपने जज्बातों को सांझा करता हूं..!
– Krishan Singh