मैं एक रास्ता हूँ
मैं एक रास्ता हूँ,
कई सालों से लोगो को मंजिल तक पहुंचा रहा हूँ।
कई अच्छे कई बुरे,
लोग आते हैं,
तय करते हैं अच्छे व बुरे सफर।
मुझे कोई फर्क नहीं,
चाहे सफर अच्छा या बुरा।
अच्छाई एवं बुराई का मुझ पर क्या असर,
मुझे न अच्छाई का पुण्य,
ना,
बुराई,
का पाप मिलता हैं।
मेरा तो काम हैं मंज़िल तक पहुंचाना।
कई लोग आए,
मुझ मे परिवर्तन चाहा,
परंतु हर परिवर्तन में,
मेरा ही एक रूप बना दिया।
मुझे छोड़ कर मुझे ही अपना लिया,
पर वो नादान क्या जाने।
अरे भाई !
रास्ता कोई भी हो पर आखिरी मंज़िल तो सबकी एक हैं।
अच्छाई का हो या बुराई का,
सभी रास्तों का अंत,
एक ही रास्ते पर हैं।
चाहे फिर तुम मुझे मोड दो,
या चाहे कहीं जोड़ दो,
चाहे कहीं से तोड़ दो,
या मेरा साथ छोड़ दो।
पर अगर मंज़िल पानी हैं तो,
मेरी सहायता तो आवश्यक है ।
कई के लिए मैं बहुत लंबा भी हूँ,
कई के लिए बहुत कम भी।
कई को मुझसे खुशिया भी होती हैं,
कई को गम भी।
पर फिर भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता,
क्योंकि मैं तो एक रास्ता हूँ।
भाई !
सिर्फ एक रास्ता।