मैं आजाद हूं!
कैसे कहूं कि
मैं आजाद हूं,
नजाने कौन-सी
सियासत रची जाए
अपने ही देश में
गुलाम कहलाऊं,
बनकर बुथ की तरह
यहाँ वहाँ रखा जाऊं,
भेड़ बकरी की तरह
घास-फूस चबाता रहूं,
बंदिश लग जाए और
वंदना मातृभूमि की कर न पाऊं,
फिर कैसे कहूं
मैं आजाद हूं!