मैं अनमोल हूँ अपनी कीमत से ज़ियादा
ये शुहरत इज़्ज़त कुछ नही क़िस्मत से ज़ियादा
दरख्वास्त तुम्हारी है ज़रूरत से ज़ियादा
मै बिक जाऊ ऐसे ये मुझे मंज़ूर नही
मै अनमोल हूँ अपनी क़ीमत से ज़ियादा
तवज़्ज़ो देते नही लोग यूँ अब तकब्बुर में
मै बदनाम हूँ अपनी शराफ़त से ज़ियादा
इक कशिश दिल में दबी वो बरसो पुरानी
सुना दो वो नग़्मे मुहब्बत ज़रूरत से ज़ियादा
हर शख़्श मिला मुझे मेरा ही अब साया
वो मुझ जैसा ही मिला मेरी रंगत से ज़ियादा
वो सोखियां आदये यूँ वो तेरा इतराना
मेरे दिल को लूट लिया नज़ाकत से ज़ियादा
तन्हा तन्हा रहे हम हमदम सदा उम्र भर
इश्क का गुलाब दिया मेरी कीमत से ज़ियादा
मेरी किस्मत में नही शायद उनका साथ
मोहब्बत कम तो नही की क़िस्मत से ज़ियादा
मेरी तक़दीर करती है यूँ मुझसे ही रक़्स
क्यू कोई तुझे चाहता है इबादत से ज़ियादा
-आकिब जावेद