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9 Aug 2024 · 1 min read

मेह

काळी कांठळ दैखनै , आस जगी मन मांय।
तपतौ मुरधर ठारसी , मेवड़लौ बरसाय।।

जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया…✍️

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