मेहनत
रात को जिसने,
गुजरते हुए देखा है.
उसके लिए दिन में सुकून कहां,
जो दिन रात एक करते है.
सफलता को उन्हीं की,
मेहनत का परिणाम नहीं,
किस्मत/भाग्य से संभव हुआ.
मेहनत तो सभी करते है.
कहते हुए कुछ,,,
जागीरदार आगे बढ़ गये.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस