*मेल मिलाप (छोटी कहानी)*
मेल मिलाप (छोटी कहानी)
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रेस्टोरेंट में शाकाहारी थाली और माँसाहारी थाली के बीच में दूरियाँ बने रहना कुछ लोगों को अच्छा नहीं लगा । उन्होंने कहा कि दोनों की मित्रता करानी चाहिए। आखिर कब तक यह अलग-अलग मेजों पर बैठकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे ! कुछ लोगों ने मेल मिलाप की प्रक्रिया शुरू की।
शुरुआत में माँसाहारी थाली ने एतराज किया । कहा “कहाँ मैं और मेरा स्वाद ! और कहाँ यह घास- फूस की थाली ! मैं इसके पास क्यों जाऊँगी ?”
तुनक कर शाकाहारी थाली ने कहा “मुझे तो तुम्हारी गंध से ही चिढ़ है । मैं भला तुम्हारे पास क्यों बैठने लगी ?”
दोनों फिर अलग-अलग मेजों पर चली गईं। बीच-बचाव करने वालों ने दोनों को किसी तरह इस बात के लिए राजी किया कि आप कम से कम एक टेबल पर तो बैठ जाओ । खैर , दोनो एक टेबल पर बैठीं। एक सिरे पर शाकाहारी थाली । दूसरे सिरे पर माँसाहारी थाली । मेल मिलाप कराने वालों ने तालियाँ बजाईं। फोटो खींचे और कहा कि एक नए युग की शुरुआत हुई ।
फिर बात आगे बढ़ी । माँसाहारी थाली में से थोड़ा सा भोजन शाकाहारी थाली में परोसने का प्रयास किया गया तथा शाकाहारी भोजन को कुछ मात्रा में माँसाहारी थाली में रखने की कोशिश की गई । इस पर एतराज बहुत गहरा था। माँसाहारी थाली का कहना था “अगर मेरी थाली में शाकाहारी भोजन रख दिया गया तो फिर मेरे स्वाद का तो सत्यानाश ही हो जाएगा ।”
जबकि रोती हुई शाकाहारी थाली को एतराज यह था कि उसकी थाली में माँसाहार परोसे जाने पर उसकी थाली का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा ।
लेकिन मेल मिलाप वालों ने दोनों की एक न सुनी और डाँट-डपटकर थोड़ा-थोड़ा भोजन दोनों की थालियों से निकालकर आपस में अदला-बदली कर दी । फोटो दोबारा तालियाँ बजाते हुए सबने खिंचवाए।
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लेखक : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9 99761 5451