मेरे लिखे को मेरा बयान ही समझना
मेरे लिखे को मेरा बयान ही समझना
कब्र को मेरे, मेरा आरामगाह ही कहना
जब जिंदगी है हिर्ज के शख्त हाथों में
मौत को मेरी वस्ल की रात ही समझना
रहेंगी कुछ ख्वाहिशें अधूरी मेरी, बाद मेरे
प्रीतम के नाम का उसे खत ही समझना
~ सिद्धार्थ