मेरे राम
२२. मेरे राम – (भजन)
घुघुरू की छुन छुन से, पायल की रुनझुन तक,
वीणा के तारों से, मन की झंकारों तक,
बस एक ही तेरा नाम, मेरे राम तेरा नाम ।
कोयल की कुँजन में, भँवरे की गुंजन में,
कलियों के खिलने से, पेड़ों के हिलने तक,
निकले बस तेरा ही नाम, मेरे राम तेरा नाम ।
धरती के आँचल से, नभ के अंतस्थल तक,
सागर की धड़कन से, गिरि के वक्षस्थल तक,
होता है जिसका विश्राम, मेरे राम तेरा नाम ।
इच्छा हो मन में जब, पावन हो हृदय तब,
मानस हो बिल्कुल निष्काम,
तब ही जपो एक नाम, मेरे राम तेरा नाम ।
तुलसी के बिरवा सा, जीवन ये मेरा है,
चंदन की खुशबू सा, जग में बिखेरा है,
मन में बसा लो वो नाम, मेरे राम तेरा नाम ।
धरती से अम्बर तक, जिसका बसेरा है,
अँधियारी रातों का, जिससे सवेरा है,
जीवन का जिसमें विश्राम, मेरे राम तेरा नाम ।
सागर की लहरों से, मन के हिलोरों तक,
नन्हीं किलकारी से, बूढ़ी सिसकारी तक,
करती है जिसका गुणगान, मेरे राम तेरा नाम ।
जीवन की बगिया में, खुशियों के पलने तक,
यौवन की गरिमा के, फलने से ढलने तक,
जिसके बिना ना हो काम, मेरे राम तेरा नाम ।
सिंहों के शावक से, हिरणों के छौनों तक,
मरघट की मिट्टी से, घर के बिछौनों तक,
जपते हैं सबही एक नाम, मेरे राम तेरा नाम ।
अविचल अविनाशी वो, जगता सन्यासी जो,
भवबाधा मुक्ती दे, हरता उदासी जो,
भक्ति की शक्ति का नाम, मेरे राम तेरा नाम ।
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प्रकाश चंद्र , लखनऊ
IRPS (Retd)