*मेरे मालिक चले आना(हिंदी गजल/गीतिका)*
मेरे मालिक चले आना(हिंदी गजल/गीतिका)
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{1}
बुलाऊँ प्रेम से जब भी, मेरे मालिक ! चले आना
नहीं चाहत है मेरी कुछ कि दौलत साथ में लाना
{2}
मुझे भगवन ! तुम्हारे सिर्फ आने की खुशी होगी
वही मस्ती का जादू फिर नशा हर बार दोहराना
{3}
थिरकता हूँ मैं जाने कौन सी संगीत की लय पर
मुझे मालिक ! वही संगीत की धुन फिर से सुनवाना
{4}
नहीं देखा है तुमको मैंने पर महसूस होते हो
तुम्हारा चेहरा हो तो, कभी मुझ को भी दिखलाना
{5}
तुम्हें पाकर नहीं रहती है पाने की कोई इच्छा
नदी का लक्ष्य जैसे हो निजी सागर को पा जाना
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर {उत्तर प्रदेश}
मोबाइल 99976 15451