मेरे पास कुछ भी नहीं
तू मेरे पास है तो सब कुछ है,
तू जो नहीं तो कुछ भी नहीं।
तू जो आए तो बहारें आए,
तेरे जाने से कुछ भी नहीं।
क्या खो दिया मैंने और क्या पा
लिया ना इसका हिसाब है,
मगर अब एक दर्द के सिवा
मेरे पास कुछ भी नहीं।
तेरे कहने से सुबह शाम होती है मेरी,
तेरे इशारे के सिवा मेरे पास कुछ भी नहीं।
नफरत करूं तो कैसे करूं तुमसे,
बस तेरी यादों के सिवा मेरे पास कुछ भी नहीं।
कितना ही छुपा लो ये मोहब्बत छिपती नहीं आखिर,
इन आंसुओं के सिवा मेरे पास कुछ भी नहीं।
चांद की चांदनी और सूरज की रोशनी तक तू ले गया जालिम,
अब बस तेरे इंतजार के सिवा मेरे पास कुछ भी नहीं।