मेरे गिरधर
गिरधारी रे!तेरे बिना मेरा कोई नहीं
मेरे उर की पीड़ा तू ही जाने
तू ही मेरा पथ गामी,
तेरे बिना मेरा कोई नहीं।
ऐ जगत है सारा छलिया
तू ही मेरा खेवनहार
देख जगत का ये वीभत्स रूप
मेरा मन भी गया है हार।
जबसे शरण तुम्हारी आई
मिट गए मेरे मन के छाले
प्रभु राम नाम जपते -जपते
पड़ गए शब्दों के लाले ।
तेरे विरह में गिरधर,
में तो हो गई बावरी
दर-दर भटकूं गलियों में खोजूं
भटकती पथरीले पथ में,
प्रेम दिवानी नारी!!!!
मेरे हृदय में है गहन प्यास
गिरधर गोपाल तेरी,
ऐसी पुकार, प्रार्थना प्रभु से
मिलन को उर में प्यास है मेरी—–
सुषमा सिंह “उर्मि,,m