मेरे अंशुल तुझ बिन…..
ओ लाल! तुझे गोदी में ले,
मैं आज सुनाती लोरी हूँ।
मेरे अंशुल तुझ बिन प्यारे,
सदा रही मैं कोरी हूँ।
आज लगाती अंक तुझे मैं,
कल तू मुझको अंक लगाना।
नित-नूतन प्रिय नेह नर्मदा,
नीर नाद-सा गीत बहाना।
आंच न आने दूँ तुझ पर मैं,
वो मन्नत की डोरी हूँ।
मेरे अंशुल तुझ बिन……
कल जब पलटे समय की घड़ियाँ,
छूटे गर रिश्तें की लड़ियाँ।
याद इसी पल को करना तुम,
नन्हें यही प्रीत की कड़ियाँ।
आदि-शक्ति शुभ छायाँ सुत मैं,
नहीं समझ कमजोरी हूँ।
मेरे अंशुल तुझ बिन…..
वक्त-विधाता रहा हमेशा
आज तुझे कल मुझको तेरी
आस रहेगी आखिर तक में
देह विलय हो जब तक मेरी
युग-युग सुवन-हंस हेतु मैं
बहती शैलजा गोरी हूँ
मेरे अंशुल तुझ बिन…..
संतोष सोनी “तोषी”
जोधपुर ( राज.)