मेरी माते
नमन तुझे हैं तन मन मेरा , जग रचित भाग्य रचित मेरी माते
कैसे भूलूँ गुज़ारी भूखी, तूने दर्द भरी वो रातें
तन को मेरे आकार दिया, ख़ुद को तूने न्योछार दिया,
रोटी मेरे मुख मे डाल, भूख को अपनी मार दिया,
पैरों को मेरे खड़ा कर, इस मुक़ाम पे तूने ला दिया,
नमन तुझे हैं शीश मेरा, जग रचित भाग्य रचित मेरी माते,
टूटा जब भी, होसला बाँधे मार्ग दर्शाती तेरी बातें,
बाप का तूने रूप धारा, आँचल अपना मेरे जग उतारा,
डूबा था बिन रास्ते मै, ईश्वर बन तूने दिखाया किनारा,
एहसान ना तेरे ऐसे उतरें, जीवन भर रहना क़र्ज़ तुम्हारा,
नमन तुझे हैं जीवन मेरा, जग रचित भाग्य रचित मेरी माते,
कैसे भूलूँ गुज़ारी, बिन आँसू तूने, दर्द भरी वो रातें
– दुष्यंत सिंह (10/05/2020)