मेरी बिटिया
तू प्रातः की सुन्दर किरण।
तू बगिया की चंचल बयार।
तू चिड़िया की मधुर गूंज।
तू संगीत की मीठी सरगम।
तू वर्षा की शीतल बूंद।
तू चंदा का शांत प्रकाश।
तू झरनों का मधुर स्वर।
तू फूलों की भीनी गंध।
तू माटी की मधुर महक।
तू गंगा का पावन जल।
तू मंदिर की मधुरिम घंटी।
तू ईश्वर की सच्ची प्रार्थना।
तुझ में वो सब जिसकी मुझे ललक।
चाहूं तुझे निहारूं अपलक।
तुझको मांगा है ईश्वर से।
उसने झोली भर दी मेरी।
चमका घर का कोना कोना।
जब से कदम पड़े हैं तेरे।
बूझ सको तो बूझो कोई।
कौन है यह प्यारी सी हस्ती?
यह तो प्यारी बिटिया मेरी।
यह तो प्यारी बुलबुल मेरी।
—-रंजना माथुर दिनांक 28/04/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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