मेरी पावन मधुशाला
मेरी पावन मधुशाला
ज्ञान-अग्नि से तपकर निकला,है मेरा नन्हा प्याला;
मतवाला सा घूम रहा है,पी कर भक्ति सुधा हाला;
साकी बनकर इसे पिलाने, का दुस्साहस मत करना;
य़ह मधुशाला का प्याला है,प्याले में है मधुशाला।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।