मेरी तलाश तुम हो
यहाँ देखो
इस जंगल में,
दूर-दूर तक
हरियाली का कोई
नामों-निशान नहीं,
मेरे कदमों की
आवाज़ भी
तुम्हें महसूस हो
रही होगी
सुनो न !
यहाँ पर भी
हरियाली है
सामने एक पेड़ है
जिसे पलाश कहते
पता है
मेरे पलाश तुम हो
मेरे पलाश तुम हो
मेरी तलाश तुम हो ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद