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17 Jul 2022 · 1 min read

मेरी तडपन अब और न बढ़ाओ

मेरी तडपन अब और न बढ़ाओ।
बस सावन में अपने घर आ जाओ।।

तुम बिन सावन सूना सा लगता है,
मेरा जिया तुम बिन नही लगता है।
जब आ जाते हो मेरे पास तुम,
ये सारा जग अपना सा लगता है।
अब मिलने में जरा भी देर न लगाओ,
मेरी तडपन अब और न बढ़ाओ।।

जब तुम नही आते मेरा दिल धड़कता है,
गम पसीना बन तन बदन से टपकता है।
और जब तुम आ जाते हो मेरी बाहों में,
दिल मेरा गुड़ियों की तरह मटकता है।
अब तुम अपनी गुड़िया के पास आ जाओ।
मेरी तडपन अब और न बढ़ाओ।।

प्यासा है मेरा तन अब तुम बिन अब,
इस सावन से प्यास बुझती कहां अब।
आ जाते तो प्यास बुझ जाती मेरी,
नही तो भटकेगा मेरा तन मन अब।
इस प्यास को आकर अब तुम्ही बुझाओ,
मेरी तडपन को अब और न बढ़ाओ।
बस सावन में अपने घर आ जाओ।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
5 Likes · 7 Comments · 471 Views
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